रविवार, 25 अक्तूबर 2020

24 अक्तूबर को क्यों मनाया जाता है पोलियो दिवस

                                                  विश्व पोलियो दिवस 

         

बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल अगर  नदी तो
समंदर की तलाश करो, टूट जाते हैं शीशे पत्थरों की चोटों से,
तोड़ दे  पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो।

        विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पोलियो उन्मूलन के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है और हर साल इस लक्ष्य के करीब पहुंचता रहा है। डब्ल्यूएचओ ने लोगों को जागरूक करने के लिए जो कदम उठाए हैं उससे हर व्यक्ति पोलियो को खत्म करने में मदद कर सकते हैं। पोलियो के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल 24 अक्तूबर को विश्व पोलियो दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। पोलियो को कभी एक अत्यंत सामान्य संक्रामक बीमारी के रूप में जाना जाता था जिसने दुनिया भर में लाखों बच्चों के जीवन को बाधित किया था।

24 अक्तूबर को क्यों मनाया जाता है पोलियो दिवस

विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्तूबर को जोनास साल्क के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट थे। जिन्होंने दुनिया का पहला सुरक्षित और प्रभावी पोलियो वैक्सीन बनाने में मदद की थी। डॉक्टर जोनास साल्क ने साल 1955 में 12 अप्रैल को ही पोलियो से बचाव की दवा को सुरक्षित करार दिया था और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था। एक समय यह बीमारी सारी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी और डॉ. साल्क ने इसके रोकथाम की दवा ईजाद करके मानव जाति को इस घातक बीमारी से लड़ने का हथियार दिया था। लेकिन 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) की स्थापना की गई। यह पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोटरी इंटरनेशनल और अन्य जो पोलियो उन्मूलन के लिए वैश्विक स्तर पर दृढ़ संकल्प थे, उनके द्वारा की गई। 

क्या है पोलियो?

       पोलियो या पोलियोमेलाइटिस, एक अपंग यानी विकलांग करने वाली घातक बीमारी है। पोलियो वायरस के कारण यह बीमारी होती है। व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर हमला कर सकता है, जिससे पक्षाघात होने की आशंका होती है। पक्षाघात की स्थिति में शरीर को हिलाया नहीं जा सकता और व्यक्ति हाथ, पैर या अन्य किसी अंग से विकलांग हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों और विभिन्न देशों की सरकारों की दृढ़ता के साथ टीकाकरण अभियान ने दुनिया को पोलियो से बचाया। भारत पिछले 7-8 वर्षों से पोलियो मुक्त हो चुका है। हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों में विकलांगता के कुछ केस सामने आते हैं। 

दो तरह की पोलियो वैक्सीन का ईजाद हुआ

      दुनियाभर में पोलियो का मुकाबला करने के लिए दो तरह की पोलियो वैक्सीन का ईजाद हुआ। पहला जोनास सॉल्क द्वारा विकसित किया गया टीका, जिसका साल 1952 में पहला परीक्षण किया गया और 12 अप्रैल 1955 को इसे प्रमाणित कर दुनियाभर में उपयोग के लिए प्रस्तुत किया गया। यह निष्क्रिय या मृत पोलियो वायरस की खुराक थी। वहीं, एक ओरल टीका अल्बर्ट साबिन ने भी तनु यानी कमजोर किए गए पोलियो वायरस का उपयोग करके विकसित किया था, जिसका साल 1957 में परीक्षण शुरू हुआ और 1962 में लाइसेंस मिला। सबसे पहले टीका विकसित करने के लिए दुनिया डॉक्टर साल्क का योगदान याद करती है।

पोलियो के लक्षण

      क्लीवलैंड क्लिनिक का कहना है कि पोलियो से संक्रमित लगभग 72 फीसदी लोग किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं करते हैं। संक्रमित लोगों में से लगभग 25 फीसदी में बुखार, गले में खराश, मतली, सिरदर्द, थकान और शरीर में दर्द जैसे लक्षण होते हैं। शेष कुछ रोगियों में पोलियो के अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि निम्नलिखित:-

पैरेथेसिया- हाथ और पैर में पिन और सुई चुभने जैसा अनुभव होता है।

मेनिनजाइटिस - मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आवरण में संक्रमण।

पक्षाघात - पैर, हाथ को स्थानांतरित करने की क्षमता में कमी या अनुपस्थिति और सांस लेने की मांसपेशियों में खिंचाव।

FOR SUPPORT THIS PAGE YOU CAN DONATE WHAT YOUR WISH

AC. NUMBER= 36609315710
AC. HOLDER NAME= AJEET KUMAR
IFSC CODE= SBIN0007191
BRANCH= GOHARI, PHAPHAMAU, PRAYAGRAJ

GOOGLEPAY, OR PHONEOAY OR PAYTM OR JIOPAY = 9695500382

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें