प्रीत न करिये पंछी जैसे
जल सूखे उड़ जाये
प्रीत कीजिये मछली जैसी
जल सूखे मर जाये
प्रीत न करिये कौवे जैसी
जो हर पल कड़वा बोल जाये
प्रीत करिये कोयल जैसी जो हर पल मन को सुहाय
प्रीत न करिये उन पंछियो जैसी
जो बरसे जल छिप जाये
प्रीत कीजिये बाज जैसी
जो पड़े बारिश बादल को भी पार कर जाये। ........
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