क्या है सिंधु जल समझौता ?
अगर आप भौगोलिक रूप से सिंधु नदी जल समझौता देखे तो इसमें सिंधु ,चेनाब ,झेलम ,सतलज ,ब्यास ,और रवि शामिल है इन नदियों के बहाव वाले क्षेत्र को अंग्रेजी में बेसिन कहते है सिंधु नदी का इलाका करीब 11. 25 वर्ग किमी है जिसका 47 % पाकिस्तान में ,37 % भारत में ,8% चीन और 6 % अफगानिस्तान में है सन1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो देश के साथ बहुत से ऐसे बटवारे हुए जिनमे सिंधु जल समझौता भी था सन 1951 में अमेरिकी विशेषज्ञ और टेनिसी वेल्ली ऑथोरिटी के पूर्व अध्यक्ष लिलिन थिएन ने सिंधु नदी के बटवारे पर एक लेख लिखा और ब्यापारिक स्तर पर सुलझाने के प्रयाश किया विश्व बैंक ने इसे पढ़ा और भारत तथा पाकिस्तान के मध्य मध्यस्था का प्रयास किया ,फिर कई दौर के बाद 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच ये समझौता हुआ जिसे सिंधु जल समझौता कहते है।
जिस समय यह संधि हुई थी उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नही हुआ था उस समय परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा जिस में 1965 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा जिस में उस को अपना एक हिस्सा खोना पड़ा जो बंगला देश के नाम से जाना जाता है तब से अब तक पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का इस्तेमाल कर रहा है भारत के विरुद्ध, जिस की वजह से किसी भी समय यह सिंधु जल समझौता खत्म हो सकता है और जिस प्रकार यह नदियाँ भारत का हिस्सा हैं तो स्वभाविक रूप से भारत इस समझौते को तोड़ कर पूरे पानी का इस्तेमाल सिंचाई विद्युत बनाने में जल संचय करने में कर सकता है पंकज मंडोठिया ने समझौते और दोनों देशों के बीच के तनाव को ध्यान में रख कर इस समझौते के टूटने की बात कही है क्योंकि वर्तमान परिस्थिति इतनी तनावपूर्ण है कि यह समझौता रद्द हो सकता है क्योंकि जो परिस्थिति 1960 में थी वो अब नही रही है।
इस समझौते में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान राष्ट्रपति आयुपखान ने रावलपिंडी में हस्ताक्षर किये ,12 जनवरी 1961 से यह नियम लागु हो गया की ,समझौते के मुताबिक पूर्वी नदिया रावी सतलज और व्यास का जल भारत किसी बाधा के उपयोग कर सकता है जबकि पश्चिम नदिया झेलम ,चेनाब और सिंधु का जल इस्तमाल करे इन नदियों के कुछ जल का उपयोग भारत भी कर सकता है।
जिसके तहत दोनों देशो में देशो में एक -एक आयुक्त नियुक्त किये गए जिससे यह समझौता सुचारु रूप से चल सके ,जब सभी मुद्दे सही थे तो आज ये विवाद क्यों है --------
पाकिस्तान हमेशा किसी भी संधि या समझौते उलंघन करता आया है जिससे INDUS WATER TREATY अच्छे से काम नहीं कर पाया ,झेलम ,चेनाब और सिंधु नदी पर भारत जो भी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट या फिर डैम बना रहा है ,पाकिस्तान हमेशा आपत्ति जताता रहता है उसे डर है की भारत इस डैम की सहायता से पानी भण्डारण करके पाकिस्तान इलाके जलमग्न करना चाहता है और 2008 में हाफिज सहीद ने भारत को जल आतंकवाद भी कह चूका है इसलिए अब भारत अपने हिस्से का पूरा पानी उपयोग करना चाहता है।
समझौते के बाद भारत ने कुछ परियोजनाए भी लागु की जैसे सतलज पर भांगड़ा नागल बांध ,व्यास नदी पर पोख और पंडोव बाँध ,रावी नदी पर रणजीत सागर बाँध ,थीन बाँध बनवाया ,इसके अलावा व्यास सतलज लिंक इंदिरा गाँधी नहर ,माधोपुर व्यास लिंक जैसी परियोजनाएं भी शुरू की गयी इसके वावजूद भारत पूर्वी नदियों का पानी उपयोग नहीं कर पाता था ,रावी नदी का २ मिलियन एकड़ फिट वाटर ऐसे ही पाकिस्तान चला जाता था पाकिस्तान में।
उरी हमले के बाद भारत ने तीन परियोजनाओं पर काम किया इसमें ,शाहपुर कैंडी डैम प्रॉजेक्ट ,पंजाब में सतलज व्यास लिंक , जम्मू कश्मीर में ऊंचा डैम प्रॉकेक्ट की शुरुआत की ,पंजाब और J &K जिस शाहपुर कैंडी डैम का के लिये रिज्यूम किये है इसलिए भारत ने जो जल माधोपुर होते हुए रावी नदी से पाकिस्तान जाता है वहाँ से 2MILLINN एकड़ फिट जल रोकेगा साथ ही जो रावी नदी की सहायक नहीं ऊझ है उस पर 781MILLION मीटर क्यूबिक का जल भंडारण का डैम विकशित किया जा रहा है वही केंद्र ने पंजाब लिंक पर पंजाब को ब्याहारिक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है
इन परियोजनाओं के अतिरिक्त और भी परियोजनाएं थी जैसे 1000 मेगावॉट का BAGALDUR डैम 850 मेगावॉट का रतलीडम ,330 मेगावॉट का किसंगनगगा डैम,120 मेगावॉट का मीयर डैम ,48 मेगावॉट का लोअर KALNAI डैम शामिल है
सिंधु नदी एशिया में सबसे लम्बी नदियों में से एक है लम्बाई लगभग 3180 किलोमीटर है कहि इसकी लम्बाई की जिक्र 2800 किमी. ही है इसका उद्गम स्थल तिब्बत के मानसरोवर के पास है जबकि बाकि नदियों का जैसे सतलज रॉक स्ताल से ,बाकि ४ उद्गम स्थल रावी ,व्यास ,चेनाब और झेलम भारत से ही निकलती है पाकिस्तान में पठान कोट से पहले इस पंचनदी का जल आपस में मिलता है और ये कराची के दक्षिण में एक डेल्टा बनाते हुए अरब सागर में गिरती है
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