नागरिक सुरक्षा (Civil Defense) यानि एक आम आदमी को सुरक्षा व्यवस्था संभालने का जिम्मा देना! ... 24 मई, 1968 को “नागरिक सुरक्षा अधिनियम, लागू किया गया। सिविल डिफेंस का मुख्य काम जन-धन की हानि को कम करना.
क्या आज वास्तव में नागरिक सुरक्षा अधिनियम का सही तरीके से पालन हो रहा ,जब भी कोई आम जनता वास्तव किसी न्याय के लिए जाती है तो उसे न्याय मिल जाता है कभी -कभी तो आदमी उम्मीद छोङ कर , अपने गम को छुपाकर अपनी जिंदगी को समेट लेता है और शायद भगवन को यही दोष देता है कि यही मेरा भाग्य है
नागरिक सुरक्षा (Civil Defense) यानि एक आम आदमी को सुरक्षा व्यवस्था संभालने का जिम्मा देना! दरअसल, इसका गठन बाह्य युद्ध के समय देश की आंतरिक व्यवस्था में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो व नागरिकों का मनोबल बना रहे इस उद्देश्य से किया गया है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में चीन आक्रमण के पश्चात नागरिक सुरक्षा (Civil Defense) उपायों के क्रियान्वयन के लिए नागरिक सुरक्षा संगठन की स्थापना देश तथा प्रदेश के सामरिक महत्व के नगरों में की गयी।
चूंकि हवाई आक्रमण से प्रभावित जन-धन की सुरक्षा उक्त उद्देश्यों के मूल में निहित है, अत: शासकीय पदाधिकारियों के साथ-साथ विभाग में नागरिकों की सहभागिता को अत्यंत महत्व देते हुए इसे संगठन का स्वरूप प्रदान किया गया। 24 मई, 1968 को “नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968” लागू किया गया।
सिविल डिफेंस का मुख्य काम
- जन-धन की हानि को कम करना।
- उत्पादन बनाये रखना तथा जनता के मनोबल को बनाये रखना।
नागरिक सुरक्षा उपायों के परिचालन के लिए भारत सरकार के निर्देशानुसार 12 सेवाओं का गठन किया गया है
- मुख्यालय सेवा
- संचार सेवा
- वार्डेन सेवा
- हताहत सेवा
- अग्निशमन सेवा
- प्रशिक्षण सेवा
- बचाव सेवा
- कल्याण सेवा
- पूर्ति सेवा
- शव निस्तारण सेवा
- साल्वेज सेवा
- डिपो एवं परिवहन सेवा
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