मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

कैसे हुई एड्स की शुरुआत , HIV ? वायरस आया कहां से [ पूर्ण ज्ञान ]


एड्स की हुईखोज कब
एड्स की पहचान 1981 में हुई थी. डॉक्टर माइकल गॉटलीब ने लॉस एंजिलिस में पांच मरीजों में एक अलग किस्म का निमोनिया पाया
वैज्ञानिकों ने एड्स महामारी की उत्पत्ति का पता लगा लिया गया है और कहा जा रहा है कि इसकी उत्पत्ति किन्शासा शहर में हुई, जो कि अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो की राजधानी है

दुनिया भर की नज़रों में एचआईवी 1980 के दशक में आया था और क़रीब साढ़े सात करोड़ लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं


यह रेड रिबन एचआईवी पॉजिटिव लोगों के साथ एकजुटता और एड्स के साथ जी रहे लोगों के लिए वैश्विक प्रतीक है।
अनुयायीAll UN Member States
प्रकारअंतरराष्ट्रीय
तिथि1 दिसम्बर (के बाद से 1988; 32 वर्ष पहले)
आवृत्तिवार्षिक
  

      गैटन एक कैनेडियन फ़्लाइट अटेंडेंट था, जिसने अमेरिका के कई लोगों को इन्फेक्ट करने के लिए जानबूझ संबंध बनाए थे। इस कारण इस व्यक्ति को 'पेशेंट जीरो' का नाम दिया गया था। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के डॉक्टर्स ने सबसे पहले इस वायरस को नोटिस किया था।

    * विश्व एड्स दिवस, 1988 के बाद से 1 दिसंबर को हर साल मनाया जाता है

    * एड्स का पूरा नाम 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम' (acquired immune deficiency syndrome) है और यह एक तरह का विषाणु है, जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है

    *  प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. इसके बाद साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया

    *  अमेरिकन जीन टेक्नोलॉजीज का दावा है कि एक जीन थेरेपी के माध्यम से एचआईवी-एड्स का इलाज संभव है

    *   इस बीमारी के सामने आने के 30 साल बाद इसकी उत्पत्ति का पता चल पाया है 

वायरस आया कहां से:-

      *  एचआईवी चिंपैज़ी वायरस का परिवर्तित रूप है, यह सिमियन इम्युनोडिफिसिएंसी वायरस के नाम से भी जाना जाता है. किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाज़ार था और संभवत संक्रमित खून के संपर्क में आने से यह मनुष्यों तक पहुंचा
      *  वायरस कई तरीके से फैला. इन वायरस ने चिंपैंज़ी, गोरिल्ला, बंदर और फिर मनुष्यों को अपने प्रभाव में लिया.

      *  मसलन, एचआईवी-1 सबग्रुप ओ ने कैमरून में लाखों लोगों को संक्रमित किया.

ऐसा क्यों हुआ :-

     *  1920 के दशक तक किन्शासा बेल्जियन कॉन्गो का हिस्सा था और 1966 तक इसे लियोपोल्डविले कहा जाता था

     *  ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ओलिवर पाइबस ने बीबीसी को बताया, "यह क्षेत्र बहुत बड़ा था और इसका तेज़ी से विस्तार हो रहा था. औपनिवेशक मेडिकल रिकॉर्ड बताते हैं कि विभिन्न यौन संक्रमित बीमारियां बहुत तेज़ी से फैल रही थी."शहर में बड़ी संख्या में पुरुष आए और किन्शासा का लिंग अनुपात बिगड़कर प्रति स्त्री दो पुरुष हो गया. नतीजा वैश्यावृति तेज़ी से फैली.ये दोनों प्रकार के वायरस लगभग एक ही तेज़ी से फैलते रहे. स्वास्थ्य शिविरों में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही संक्रमित सुइयों ने इस वायरस को मानों पंख ही लगा दिए

      *  प्रोफ़ेसर पाइबस एचआईवी के फैलने की एक और बड़ी वजह मानते हैं और वह है रेल नेटवर्क. 1940 के अंत तक लगभग 10 लाख लोग आवागमन के लिए किन्शासा रेल नेटवर्क का इस्तेमाल करते थे.
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