सिंधु घाटी सभ्यता पूर्ण ज्ञान
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Geographical range | दक्षिण एशिया |
---|---|
Period | कांस्य युग |
Dates | ल. 3300 |
Type site | हड़प्पा |
Preceded by | मेहरगढ़ |
Followed by | चित्रित ग्रे वेयर संस्कृति कब्रिस्तान एच संस्कृति |
* सिन्धु घाटी सभ्यता (3300 ई॰पू॰ से 1700 ई॰पू॰ तक, परिपक्व काल: 2550 ई॰पू॰ से 1750 ई॰पू॰) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है। जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान ,पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है।
* प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता के साथ, यह प्राचीन दुनिया की सभ्यताओं के तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से, सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित। सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है।
*इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ।
* हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर 2014 में भिरड़ाणा को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं।
* 7 वीं शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रांत में ईटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहाँ से बनी बनाई इटे मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की गयी। 1902 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व राखलदास बेनर्जी को मोहनजोदडो का खोजकर्ता माना गया।
* यह सभ्यता सिन्धु नदी घाटी में फैली हुई थी इसलिए इसका नाम सिन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारण इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है। प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है। सिन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिसमें से ९२५ केन्द्र भारत में है। ८० प्रतिशत स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदियों के आस-पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रतिशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है । नए शोध में सिंधु घाटी सभ्यता से भगवान शिव और नाग के प्रमाण मिले है उस आधार पर कहा गया है कि यह सभ्यता निषाद जाती भील से संबंधती रही होगी ।
* नामोत्पत्ति
सिन्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था। यह इन्दुस या इन्डस नदी के किनारे बसने वाली सभ्यता थी और अपनी भौगौलिक उच्चारण की भिन्नताओं की वजहों से इस इन्डस को सिन्धु कहने लगे, आगे चल कर इसी से यहाँ के रहने वाले लोगो के लिये हिन्दू उच्चारण का जन्म हुआ।
* हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से इस सभ्यता के प्रमाण मिले हैं।
* अतः विद्वानों ने इसे सिन्धु घाटी की सभ्यता का नाम दिया, क्योंकि यह क्षेत्र सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में आते हैं, पर बाद में रोपड़, लोथल, कालीबंगा, वनमाली, रंगापुर आदि क्षेत्रों में भी इस सभ्यता के अवशेष मिले जो सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र से बाहर थे। अतः कई इतिहासकार इस सभ्यता का प्रमुख केन्द्र हड़प्पा होने के कारण इस सभ्यता को "हड़प्पा सभ्यता" नाम देना अधिक उचित मानते समझा गया जबकि हकीकत में इस नदी का नाम अन्दुस है। सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल पंजाब , हरियाणा, राजस्थान, व गुजरात में लुप्त सरस्वती घाटी में मिले हैं, अतः इसे सिंधु सरस्वती सभ्यता नाम दिया जाना उपयुक्त होगा।
* इंडियन पुरातत्व विभाग के महार्निदेशक जॉन मार्शल ने 1924 में अन्दुस तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे।
विभिन्न काल
समय (बी॰सी॰ई॰) | काल | युग |
---|---|---|
7570-3300 | पूर्व हड़प्पा (नवपाषाण युग,ताम्र पाषाण युग) | |
7570–6200 BCE | भिरड़ाणा | प्रारंभिक खाद्य उत्पादक युग |
7000–5500 BCE | मेहरगढ़ एक (पूर्व मृद्भाण्ड नवपाषाण काल) | |
5500-3300 | मेहरगढ़ दो-छः (मृद्भाण्ड नवपाषाण काल) | क्षेत्रीयकरण युग |
3300-2600 | प्रारम्भिक हड़प्पा (आरंभिक कांस्य युग) | |
3300-2800 | हड़प्पा 1 (रवि भाग) | |
2800-2600 | हड़प्पा 2 (कोट डीजी भाग, नौशारों एक, मेहरगढ़ सात) | |
2600-1900 | परिपक्व हड़प्पा (मध्य कांस्य युग) | एकीकरण युग |
2600-2450 | हड़प्पा 3A (नौशारों दो) | |
2450-2200 | हड़प्पा 3B | |
2200-1900 | हड़प्पा 3C | |
1900-1300 | उत्तर हड़प्पा (समाधी एच, उत्तरी कांस्य युग) | प्रवास युग |
1900-1700 | हड़प्पा 4 | |
1700-1300 | हड़प्पा 5 |
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