शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

महाजनपदों का उदय

महाजनपदों का उदय 



*      महाजनपद, प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहते थे। ईसापूर्व 6वीं-5वीं शताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है जहाँ सिन्धु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ-साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैन धर्म सहित) का उदय हुआ। 

*16 महाजनपदो के  नाम 

  1. अंग
  2. अश्मक (या अस्सक)
  3. अवंती
  4. चेदि
  5. गांधार
  6. काशी
  7. काम्बोज
  8. कोशल
  9. कुरु
  10. मगध
  11. मल्ल
  12. मत्स्य (या मछ)
  13. पांचाल
  14. सुरसेन
  15. वज्जि
  16. वत्स (या वंश)

अवन्ति

आधुनिक मालवा ही प्राचीन काल की अवन्ति है। इसके दो भाग थे― उत्तरी अवन्ति और दक्षिणी अवन्ति। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी माहिष्मति थी। प्राचीन काल में यहाँ हैहयवंश का शासन था। गुजरात का षेत्र

अश्मक या अस्सक

दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद। नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पोतन थी। इस राज्य के राजा इक्ष्वाकुवंश के थे। इसका अवन्ति के साथ निरंतर संघर्ष चलता रहता था। धीरे-धीरे यह राज्य अवन्ति के अधीन हो गया।

अंग

यह मगध के पूरब था। वर्तमान के बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले। इनकी राजधानी चंपा थी। चंपा उस समय भारतवर्ष के सबसे प्रशिद्ध नगरियों में से थी। मगध के साथ हमेशा संघर्ष होता रहता था और अंत में मगध ने इस राज्य को पराजित कर अपने में मिला लिया। तथा इसकी राजधानी चम्पा थी

कम्बोज

गांधार-कश्मीर के उत्तर आधुनिक पामीर का पठार था, उसके पश्चिम बदख्शाँ-प्रदेश कंबोज महाजनपद कहलाता था। हाटक या [राजापुर]] इस राज्य की राजधानी थी। यह भारत से बाहर स्थापित है

काशी

इसकी राजधानी वाराणसी थी। जो वरुणा और असी नदियों की संगम पर बसी थी। वर्तमान की वाराणसी व आसपास का क्षेत्र इसमें सम्मिलित रहा था। जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन काशी के राजा थे। इसका कोशल राज्य के साथ संघर्ष रहता था। गुत्तिल जातक के अनुसार काशी नगरी 12 योजन विस्तृत थी और भारत वर्ष की सर्वप्रधान नगरी थी

कुरु

आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का यमुना नदी के पश्चिम वाला अंश शामिल था। इसकी राजधानी आधुनिक इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) थी। जैनों के उत्तराध्ययनसूत्र में यहाँ के इक्ष्वाकु नामक राजा का उल्लेख मिलता है। जातक कथाओं में सुतसोमकौरव और धनंजय यहाँ के राजा माने गए हैं। कुरुधम्मजातक के अनुसार, यहाँ के लोग अपने सीधे-सच्चे मनुष्योचित बर्ताव के लिए अग्रणी माने जाते थे और दूसरे राष्ट्रों के लोग उनसे धर्म सीखने आते थे।

कोशल

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला, गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे। इसकी प्रथम राजधानी अयोध्या थी। द्वितीय राजधानी श्रावस्ती थी। कोशल के एक राजा कंश को पालिग्रंथों में 'बारानसिग्गहो' कहा गया है। उसी ने काशी को जीत कर कोशल में मिला लिया था। कोशल देश के राजा प्रसेनजित थे।

गांधार

पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफ़ग़ानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र और कश्मीर का कुछ भाग। इसकी राजधानी तक्षशिला थी इसे आधुनिक कंदहार से जोड़ने की गलती कई बार लोग कर देते हैं जो कि वास्तव में इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था।

चेदि

वर्तमान में बुंदेलखंड का इलाका। इसकी राजधानी शक्तिमती थी। इस राज्य का उल्लेख महाभारत में भी है। शिशुपाल यहाँ का राजा था।

वज्जि या वृजि

यह आठ गणतांत्रिक कुलों का संघ था जो उत्तर बिहार में गंगा के उत्तर में अवस्थित था तथा जिसकी राजधानी वैशाली थी। इसमें आज के बिहार राज्य के दरभंगामधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर व मुजफ्फरपुर जिले सम्मिलित थे।

वत्स या वंश

उत्तर प्रदेश के प्रयाग (आधुनिक प्रयागराज) के आस-पास केन्द्रित था। पुराणों के अनुसार, राजा निचक्षु ने यमुना नदी के तट पर अपने राज्यवंश की स्थापना तब की थी जब हस्तिनापुर राज्य का पतन हो गया था। इसकी राजधानी कौशाम्बी थी।

पांचाल

पश्चिमी उत्तर प्रदेश। पांचाल की दो शाखाये थी ― उत्तरी और दक्षणि। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षणि पांचाल की काम्पिल्य थी।मध्य दोआब क्षेत्र (बदायु फरूखाबाद ) चुलानी ब्रह्मदत्त पांचाल देश का एक महान शासक था।

मगध

मगध महाजनपद दक्षिण बिहार के पटना व गया जिलो पे स्थित था। इसकी प्रारम्भिक राजधानी राजगीर थी जो चारो तरफ से पर्वतो से घिरी होने के कारण गिरिब्रज के नाम से जानी जाती थी। मगध की स्थापना बृहद्रथ ने की थी और ब्रहद्रथ के बाद जरासंध यहाँ का शाषक था। शतपथ ब्राह्मण में इसे 'कीकट' कहा गया है। आधुनिक पटना तथा गया जिले और आसपास के क्षेत्र। सभी महाजन पदों में सबसे‌ शक्तिशाली महाजनपद के रूप में जाना जाता है इस पर हर्यक नंद मोर्य आदि ने शासन किया। भविष्य में जाकर चंद्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को हराया और वह मगध का प्रतापी शासक बना

मत्स्य या मच्छ

इसमें राजस्थान के अलवरभरतपुर तथा जयपुर जिले के क्षेत्र शामिल थे। इसकी राजधानी विराटनगर थी। यहां के लोग बहुत ईमानदार हुआ करते थे।

मल्ल

यह भी एक गणसंघ था और गोरखपुर के आसपास था। मल्लों की दो शाखाएँ थीं। एक की राजधानी कुशीनारा थी जो वर्तमान कुशीनगर है तथा दूसरे की राजधानी पावा या पव थी जो वर्तमान फाजिलनगर है।

सुरसेन या शूरसेन

इसकी राजधानी [मथुरा] थी।बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अवंति पुत्र यहाँ का राजा था। पुराणों में मथुरा के राजवंश को यदुवंश कहा जाता था। अपने ज्ञान,बुद्धि और वैभव के कारण यह नगर अत्यन्त प्रसिद्ध था। NOTE___ भारत मे कुंभ मेले का आयोजन चार अस्थानो पर किया जाता है 1__ हरिद्वार - गंगा नदी 2__ प्रयागराज - त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती) 3__उज्जैन -क्षिप्रा नदी 4__ नासिक - गोदावरी नदी

सत्ता संघर्ष

*   ईसापूर्व छठी सदी में जिन चार महत्वपूर्ण राज्यों ने प्रसिद्धि प्राप्त की उनके नाम हैं - मगध के हर्यंक, कोसल के इक्ष्वाकु, वत्स के पौरव और अवंति के प्रद्योत। हर्यंक एक ऐसा वंश था जिसकी स्थापनाबिंबिसार द्वारा मगध में की गई थी। प्रद्योतों का नाम ऐसा उस वंश के संस्थापक के कारण ही था। संयोग से महाभारत में वर्णित प्रसिद्ध राज्य - कुरु-पांचाल, काशी और मत्स्य इस काल में भी थे पर उनकी गिनती अब छोटी शक्तियों में होती थी।

*  ईसापूर्व छठी सदी में अवंति के राजा प्रद्योत ने कौशाम्बी के राजा तथा प्रद्योत के दामाद उदयन के साथ लड़ाई हुई थी। उससे पहले उदयन ने मगध की राजधानी राजगृह पर हमला किया था। कोसल के राजा प्रसेनजित ने काशी को अपने अधीन कर लिया और बाद में उसके पुत्र ने कपिलवस्तु के शाक्य राज्य को जीत लिया। मगध के राजा बिंबिसार ने अंग को अपने में मिला लिया तथा उसके पुत्र अजातशत्रु ने वैशाली क लिच्छवियों को जीत लिया।

*  ईसापूर्व पाँचवी सदी में पैरव और प्रद्योत सत्तालोलुप नहीं रहे और हर्यंको तथा इक्ष्वांकुओं ने राजनीतिक मंच पर मोर्चा सम्हाल लिया। प्रसेनजित तथा अजातशत्रु के बीच संघर्ष चलता रहा। इसका हंलांकि कोई परिणाम नहीं निकला और अंततोगत्वा मगध के हर्यंकों को जात मिली। इसके बाद मगध उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य बन गया। ४७५ ईसापूर्व में अजातशत्रु की मृत्यु के बाद उसके पुत्र उदयिन ने सत्ता संभाली और उसी ने मगध की राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र (पटना) स्थानांतरित की। हँलांकि लिच्छवियों से लड़ते समय अजातशत्रु ने ही पाटलिपुत्र में एक दुर्ग बनवाया था पर इसका उपयोग राजधानी के रूप में उदयिन ने ही किया।

*  उदयिन तथा उसके उत्तराधिकारी प्रशासन तथा राजकाज में निकम्मे रहे तथा इसके बाद शिशुनाग वंश का उदय हुआ। शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के बाद महापद्म नंद नाम का व्यक्ति सत्ता पर काबिज हुआ। उसने मगध की श्रेष्ठता को और उँचा बना दिया। महाजनपद काल का सबसे बड़ा साम्राज्य मगध का था।

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