रविवार, 15 नवंबर 2020

Patriot Or Terrorist ? [नाथुराम विनायक गोडसे] Nathuram Godse, Who Killed Gandhi

      



  नाथुराम विनायक गोडसे, या नाथुराम गोडसे(19 मई 1910 - 15 नवम्बर 1949) एक कट्टर हिन्दू था, जिसने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। गोडसे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुणे से पूर्व सदस्य था । गोडसे का मानना था कि भारत विभाजन के समय गाँधी ने भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों के पक्ष का समर्थन किया था। जबकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अपनी आंखें मूंद ली थी। गोडसे ने नारायण आप्टे और 6 लोगों के साथ मिल कर इस हत्याकाण्ड की योजना बनाई थी। एक वर्ष से अधिक चले मुकद्दमे के बाद 8 नवम्बर 1949 को उन्हें मृत्युदण्ड दिया गया। हालाँकि महात्मा गाँधी के पुत्र, मणिलाल गाँधी और रामदास गाँधी द्वारा विनिमय की दलीलें पेश की गई थीं, परन्तु उन दलीलों को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी एवं उपप्रधानमंत्री वल्लभभाई पटेल, तीनों द्वारा ठुकरा दिया गया था। 15 नवम्बर 1949 को गोडसे को अम्बाला जेल में फाँसी दे दी गई


  1. हैदराबाद आन्दोलन नथुराम गोडसे का जन्म 19  मई 1910  को भारत के महाराष्ट्र राज्य में नाशिक के निकट मराठी परिवार में हुआ था
  2. इनके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट आफिस में काम करते थे और माता लक्ष्मी गोडसे एक गृहणी थीं। नाथूराम के जन्म   का नाम रामचन्द्र था।
  3. इनके जन्म से पहले इनके माता-पिता की सन्तानों में तीन पुत्रों की अल्पकाल में ही मृत्यु हो गयी थी केवल एक पुत्री ही जीवित बची थी। इसलिये इनके माता-पिता ने पुरुष सन्तानों की जीवन पर श्राप समझ कर ईश्वर से प्रार्थना की थी कि यदि अब कोई पुत्र हुआ तो उसका पालन-पोषण लड़की की तरह किया जायेगा। इसी मान्यता के कारण बालक रामचन्द्र की नाक बचपन में ही छिदवा दिया गया और मान्यता अनुसार रामचन्द्र को बालकाल में अपने नाक में एक नथ भी पहनना पड़ता था इसी के कारण बालक रामचन्द्र को नथुराम के नाम से बुलाया जाने लगा।
  4.  प्रारम्भिक शिक्षा पुणे में हुई थी परन्तु हाईस्कूल के बीच में ही अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी तथा उसके बाद कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली। धार्मिक पुस्तकों में गहरी रुचि होने के कारण रामायणमहाभारतगीतापुराणों के अतिरिक्त स्वामी विवेकानन्दस्वामी दयानन्दबाल गंगाधर तिलक तथा महात्मा गान्धी के साहित्य का इन्होंने गहरा अध्ययन किया था
  5. RRS का हिस्सा होने के बावजूद,1930 में छोङ कर अखिल भारती हिन्दू महासभा का हिस्सा बने। 
  6.  अग्रणी तथा हिन्दू राष्ट्र नामक दो समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया था
  7.  मुहम्मद अली जिन्ना की अलगाववादी विचार-धारा का विरोध करते थे। प्रारम्भ में तो उसने मोहनदास करमचंद गांधी के कार्यक्रमों का समर्थन किया परन्तु बाद में गान्धी के द्वारा लगातार और बार-बार हिन्दुओं के विरुद्ध भेदभाव पूर्ण नीति अपनाये जाने तथा मुस्लिम तुष्टीकरण किये जाने के कारण वे गान्धी के प्रबल विरोधी हो गये

  1. १९४० में हैदराबाद के तत्कालीन शासक निजाम ने उसके राज्य में रहने वाले हिन्दुओं पर बलात जजिया कर लगाने का निर्णय लिया जिसका हिन्दू महासभा ने विरोध करने का निर्णय लिया। हिन्दू महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष के आदेश पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं का पहला जत्था नाथूराम गोडसे के नेतृत्व में हैदराबाद गया। हैदराबाद के निजाम ने इन सभी को बन्दी बना लिया और कारावास में कठोर दण्ड दिये परन्तु बाद में हारकर उसने अपना निर्णय वापस ले लिया।

भारत-विभाजन




       १९४७ में भारत का विभाजन और विभाजन के समय हुई साम्प्रदायिक हिंसा ने नाथूराम को अत्यन्त उद्वेलित कर दिया। तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए बीसवीं सदी की उस सबसे बडी त्रासदी के लिये मोहनदास करमचन्द गान्धी ही सर्वाधिक उत्तरदायी समझ में आये। और ऐसा नहीं होने दिया


उठो तो ऐसे उठो कि फक्र हो बुलंदी को,
झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज़ करे।

गान्धी-हत्या की साजिस कैसे की गोडसे ने 

         1947 विभाजन के बाद पाकिस्तान को 75 करोड़ देने की बात की गयी , 20 करोड़ देने के बाद उसी समय पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला  दिया ,जिसकी  वजह से नेहरू और सरदार जी ने 55 करोड़ नही देने का निर्याय लिया ,इसी  वजह से गाँधी जी अनसन पर बैठ गए की बाकि रूपए भी पाकिस्तान को दिए जाये ,जिसकी वजह से नाथू जी ने पहली बार अपने दाल के साथ  मारने का प्रयास किये

प्रथम प्रयास विफल




           गांधी के अनशन से दुखी गोडसे तथा उनके कुछ मित्रों द्वारा गांधी की हत्या योजनानुसार नई दिल्ली के बिरला हाउस पहुँचकर २० जनवरी १९४८ को मदनलाल पाहवा ने गांधी की प्रार्थना-सभा में बम फेका। योजना के अनुसार बम विस्फोट से उत्पन्न अफरा-तफरी के समय ही गांधी को मारना था परन्तु उस समय उनकी पिस्तौल जाम हो गयी वह एकदम न चल सकी। इस कारण नाथूराम गोडसे और उनके बाकी साथी वहाँ से भागकर पुणे वापस चले गये जबकि मदनलाल पाहवा को भीड़ ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया।
  

शस्त्र की व्यवस्था

         नाथूराम गोडसे गांधी को मारने के लिये पुणे से दिल्ली वापस आये और वहाँ पर पाकिस्तान से आये हुए हिन्दू तथा सिख शरणार्थियों के शिविरों में घूम रहे थे। उसी दौरान उनको एक शरणार्थी मिला, जिससे उन्होंने एक इतालवी कम्पनी की बैराटा पिस्तौल खरीदी। नाथूराम गोडसे ने अवैध शस्त्र रखने का अपराध न्यायालय में स्वीकार भी किया था। उसी शरणार्थी शिविर में उन्होंने अपना एक छाया-चित्र (फोटो) खिंचवाया और उस चित्र को दो पत्रों के साथ अपने सहयोगी नारायण आप्टे को पुणे भेज दिया


महात्मा गाँधी की हत्या

      ३० जनवरी १९४८ को नाथूराम गोडसे दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना-सभा के समय से ४० मिनट पहले पहुँच गये। जैसे ही गान्धी जी प्रार्थना-सभा के लिये परिसर में दाखिल हुए, नाथूराम ने पहले उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया उसके बाद बिना कोई बिलम्ब किये अपनी पिस्तौल से तीन गोलियाँ मार कर गान्धी का अन्त कर दिया। गोडसे ने उसके बाद भागने का कोई प्रयास नहीं किया।

     हत्या अभियोग

      नाथूराम गोडसे पर मोहनदास करमचन्द गान्धी की हत्या के लिये अभियोग पंजाब उच्च न्यायालय में चलाया गया था। इसके अतिरिक्त उन पर १७ अन्य अभियोग भी चलाये गये।


आये हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर,
कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे।


मृत्युदण्ड

      मुक़दमे के लिए नथुराम को सर्वप्रथम पंजाब उच्च न्यायालय में पेश किया गया। एक वर्ष से अधिक चले मुकद्दमे के बाद ८ नवम्बर 1948  को उसे मृत्युदंड प्रदान किया गया। हालाँकि गांधीजी के पुत्र, मणिलाल गांधी और रामदास गांधी द्वारा विनिमय की दलीलें पेश की गई थीं, परंतु उन दलीलों को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, महाराज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी एवं उपप्रधानमंत्री वल्लभभाई पटेल, तीनों द्वारा ठुकरा दिया गया था। नाथूराम गोडसे को सह-अभियुक्त नारायण आप्टे के साथ 15 नवम्बर 1949 को पंजाब की अम्बाला जेल में फाँसी दे दिया गया।

मन्दिर का निर्माण




२०१७ में हिन्दू महासभा ने नथुराम विनायक गोडसे की स्मृति में अपने ग्वालियर कार्यलय में एक मन्दिर की आधार शीला रखी। [8]

नाथुराम से सम्बन्धित पुस्तकें

  • गांधी हत्या आणि मी (गांधी हत्या और मैं ; गोपाळ गोडसे)
  • मी नथुराम गोडसे बोलतोय (मैं नाथुराम गोडसे बोल रहा हूँ ; दो-अंक का नाटक, १९९७, लेखक प्रदीप दळवी)
  • May It Please You Honour (गोपाळ गोडसे).
  • ५५ कोटींचे बळी (गोपाळ गोडसे)
  • Why I Assassinated Gandhi (गोपाळ गोडसे)
  • अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा - वीर नाथूराम गोडसे : भाग - एक, दो, तीन (लेखक विश्वजीतसिंह)
  • गांधी-वध क्यों? (नथुराम गोडसे)
  • The Men Who Killed Gandhi (मनोहर माळगांवकर)
  • Nathuram Godse - The Story of an Assassin : (लेखक - अनुप अशोक सरदेसाई) प्रकाशन ३० जनवरी, २०१६.


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