Rudolf deasel ( 1858 - 1913)
जर्मनी के प्रसिद्ध इंजीनियर जिसने डीज़ल इंजन की खोज की थी
डीज़ल इंजन बनाने के बाद वो अपनी पूरी जिंदगी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहे की कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है 29 सितंबर 1913 की शाम को डीजल एंटवर्प में गैर स्टीमर एसएस ड्रेसडेन पर चढ़ गया जो लंदन इंग्लैंड में समेकित डीजल विनिर्माण कंपनी की बैठक के लिए जा रहा था। उसने जहाज पर रात का भोजन किया और फिर लगभग 10 बजे अपने केबिन में सेवानिवृत्त हो गया उसे दोबारा फिर जिन्दा नहीं देखा गया ,
दस दिन बाद डच नाव कोर्टज़ेन का चालक दल नॉर्वे के पास उत्तरी सागर में तैरते हुए एक व्यक्ति की लाश पर आया। शरीर सड़न की इतनी उन्नत स्थिति में था कि यह पहचानने योग्य नहीं था और वे उसमें सवार नहीं हुए। इसके बजाय चालक दल ने मृत व्यक्ति के कपड़ों से व्यक्तिगत वस्तुओं (गोली का मामला बटुआ आई। डी। कार्ड पॉकेटनाइफ़ चश्मा मामला) को वापस ले लिया और शव को समुद्र में लौटा दिया। 13 अक्टूबर को इन वस्तुओं की पहचान रुडोल्फ के बेटे यूजेन डीजल ने अपने पिता से की। 14 अक्टूबर 1913 को यह बताया गया कि डीजल के शरीर को एक नाविक द्वारा स्कैल्ट के मुहाने पर पाया गया था लेकिन भारी मौसम के कारण उसे इसे उखाड़ फेंकने के लिए मजबूर किया गया थाए कहना भी गलत होगा की ऐसा आदमी कभी आत्महत्या भी कर सकता है लेकिन लोगो का एक मत ये भी था की उन्होंने आत्महत्या की है
ये कहना भी गलत होगा की ऐसे लोग जल्दी हार मान लेते है उनकी लास का 10 दिन बाद मिलना ये बताता है की उनकी हत्या की गयी थी
आज दुनिया में 60% गाड़ियों में डीज़ल इंजन लगे है
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